"जब मैं न्यूयॉर्क में था, एक वृद्ध महिला, वह मेरे प्रवचन में आती थी। सेकंड एवेन्यू में नहीं; जब मैंने पहले ७२ वीं गली में प्रारम्भ किया था। तो उसका एक पुत्र था। तो मैंने पूछा, "आप अपने पुत्र का विवाह क्यों नहीं करवा देतीं?" "ओह जरूर, यदि वह पत्नी का पालन कर सके, तब मुझे कोई आपत्ति नहीं है।" मात्र पत्नी का पालन करना ही इस युग में एक बड़ा काम है। दाक्ष्यं कुटुंब भरणं (Vanisource:SB 12।2।26।श्रीमद भागवतम १२।२।६ )। और तब भी हम बहुत गर्व करते हैं कि हम उन्नति कर रहे हैं। एक पक्षी तक पत्नी का पालन करता है, एक पशु तक पत्नी का पालन करता है। और मनुष्य पत्नी का पालन करने में हिचकता है? आप देखिए? और वे कहते हैं की वे सभ्यता में उन्नत हैं? हूँ ? यह अत्यंत घोर युग है। इसलिए चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि अपना समय किसी भी तरह व्यर्थ मत करो। सरल भाव से हरे कृष्ण गुणगान करो। हरेर नाम हरेर नाम हरेर नामैव...( Vanisource:CC Adi 17।21।श्री चैतन्य चरितामृत आदि १७।२१ )। तो लोगों को आध्यात्मिक जीवन में बिलकुल भी रूचि नहीं है। कोई अनुसन्धान नहीं।"
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