HI/660725 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/660725BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|परम पुरुषोत्तम भगवान ने यह प्रमाणित किया है कि, यह भौतिक संसार दुःखों का स्थान है। अब, यदि यह संसार इसी उद्देश्य से बना है, कि यह हमें केवल दुःख ही देगा, तो हम इसे सुखमय कैसे बना सकते हैं? यह संसार उसी उद्देश्य से बना है। अत: भगवान कृष्ण कहते हैं कि, "कोई भी जीव, जो मेरे पास लौट आता है, वह पुन: इस दुखालय में नहीं आता। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति (भ.गी ४.९)।|Vanisource:660725 - Lecture BG 04.09-11 - New York|660725 - प्रवचन भ.गी.४.९-११ - न्यूयार्क}} |
Latest revision as of 05:40, 3 March 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
परम पुरुषोत्तम भगवान ने यह प्रमाणित किया है कि, यह भौतिक संसार दुःखों का स्थान है। अब, यदि यह संसार इसी उद्देश्य से बना है, कि यह हमें केवल दुःख ही देगा, तो हम इसे सुखमय कैसे बना सकते हैं? यह संसार उसी उद्देश्य से बना है। अत: भगवान कृष्ण कहते हैं कि, "कोई भी जीव, जो मेरे पास लौट आता है, वह पुन: इस दुखालय में नहीं आता। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति (भ.गी ४.९)। |
660725 - प्रवचन भ.गी.४.९-११ - न्यूयार्क |