HI/660908 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी||"भगवान् स्वयं प्रत्येक वस्तु में विद्यमान् हैं। आप जो भी देखते हो,वह फिर भले ही तत्व हो, आत्मा हो, देह रूपी हो, रासायनिक हो, बहुत सी वस्तुएँ हैं, उसे आप कुछ भी नाम दे सकते हो, लेकिन वे भगवान् से भिन्न नहीं हैं। भगवान्, प्रत्येक वस्तु से संबंधित हैं। ईश्वस्यमीदम सर्वं ([[Vanisource:ISO 1|आई एस ओ-१)। जैसे कि हमारी भगवद् गीता में, येन सर्वं ईदंत्तं:, जो तुम्हारी देह में विद्यमान् है वह तुम हो। अत: यह व्यक्तिगत चेतना है: मैं शरीर में उपस्थित हूँ। ठीक उसी प्रकार वह परम चेतना सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विद्यमान है। यह तो भगवान् की शक्ति की बहुत सूक्ष्म अभिव्यक्ति है, बहुत ही छोटी।"|Vanisource:660908 - Lecture Maha-mantra - New York|660908 - Lecture Maha-mantra - New York}}