"परम पुरुषोत्तम भगवान् प्रत्येक वस्तु में विद्यमान् हैं, जो भी आप देखते हो, चाहे वह स्थूल वस्तु हो, आत्मा हो, या अन्य कोई भी, भौतिक, रासायनिक - आप कोई भी नाम दे सकते हो - अनेक वस्तुएँ है। किन्तु वे भगवान् से भिन्न नहीं हैं। भगवान्, प्रत्येक वस्तु से जुड़े हुए हैं। ईशावास्यम इदम सर्वम (ईशोपनिषद १)। जिस प्रकार हमारी भगवद् गीता, में हमने शुरुआत देखा था, येन सर्वम इदम ततम: 'जो तुम्हारे देह में विद्यमान् है वह तुम हो। अत: यह व्यक्तिगत चेतना है: 'मैं अपने संपूर्ण शरीर में उपस्थित हूँ।', ठीक उसी प्रकार वह परम चेतना सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विद्यमान है। यह तो भगवान् की शक्ति की बहुत सूक्ष्म अभिव्यक्ति है, बहुत ही छोटी।"
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