HI/661207 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह धरती तुम्हारी नहीं है। प्रत्येक वस्तु भगवान् की है। ईश्वस्यमीदम सर्वं ( आई एस ओ- १) वह सब का मालिक है। भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वेक्षण महेश्वरम्। (भ.गी. ५.२९) यह हमारा मिथ्याबोध (ग़लतफ़हमी) है और हम अपना झूठा हक़ जमा कर स्वयं इसके मालिक होने का दावा करते हैं। इसी कारण यहाँ शान्ति नहीं है। हम शान्ति को ढूँढने का प्रयास कर रहे हैं। यहाँ शान्ति कैसे हो सकती है? तुम किसी वस्तु पर झूठा हक़ जमा रहे हो जो तुम्हारी है ही नहीं। सर्वेश्वर्य-पूर्ण। अत: हर जगह भगवान् की है और विशेष कर गोलोक वृंदावन तो उनका परम धाम है। वह कमल के समान है, तुमने उसका चित्र तो देखा है। सभी लोक गोलाकार हैं लेकिन परमधाम कमल के समान है। अत: वह गोलोक वृंदावन अध्यात्मिक नभ है।"
661207 - Lecture CC Madhya 20.154-157 - New York