HI/661211b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम इन इन्द्रियों और आँखों पर विश्वास नहीं कर सकते। हमें पूर्ण ज्ञान की जानकारी सिद्ध पुरूषों अथवा शास्त्रों से लेनी होगी। वही वैदिक रीत है। तो जो लोग अपनी अपूर्ण इन्द्रियों के बल पर भगवान् अथवा परम सत्य को देखना चाहते हैं, वे भगवान् को अव्यक्त या निराकार मानते हैं। वे अपूर्ण हैं। वह अपूर्ण इन्द्रियों का बोध हैं। परिपूर्ण दृष्टि यह है कि, भगवान् एक व्यक्ति हैं, पुरूष हैं।"
661211 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.१५६-१६३ - न्यूयार्क