HI/661221 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:39, 4 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यह सदैव स्मरण रहे, कि कृष्णभावनामृत, इस भ्रामक भौतिक प्रकृति के विरूद्ध, एक युद्ध की घोषणा के समान है। इसलिए यह एक युद्ध है। भौतिक प्रकृति सदैव आपको गिराने का प्रयास करेगी। दैवी ह्येषा गुणमयी, मम माया दुरत्यया (भ.गी. ७.१४)। यह बहुत ही दृढ़ और शक्तिशाली है। आप स्वयं का बचाव कैसे करोगे? "मामेव ये प्रपद्यन्ते, मायाम एताम तरन्ति ते।" यदि आप दृढ़ता से कृष्णभक्ति सेवा में जुड़े रहते हैं, तो आपको अपनी तरफ़ आकर्षित करने के लिए भौतिक प्रकृति बलहीन हो जायेगी।" |
661221 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३१३-३१७ - न्यूयार्क |