HI/661223 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661223CC-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"यदि तुम कैलिफ़ोर्निया जाना चाहते हो तो तुम्हें वहाँ जाना होगा। केवल विचार करने से कि मैं कैलिफ़ोर्निया जा रहा हूँ तो क्या तुम... ? नहीं। उसी प्रकार यदि तुम्हें शान्ति चाहिए तो उसके लिए तुम्हें प्रयास करना होगा। कार्य विधि है। वह कार्य विधि सब के लिए उपलब्ध है, बस तुम्हें उसे अपनाना है। नहीं तो यह संभव नहीं है। इसलिए भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु ने मध्य लीला में बताया है कि" मनुष्य जन्म सार्थक करी।" "सबसे पहले स्वयं को कुश्ल बनाओ; फिर प्रचार करो।" स्वयं निर्रथक बन कर प्रचार नहीं कर सकते। क़तई नहीं।"|Vanisource:661223 - Lecture CC Madhya 20.330-335 - New York|661223 - Lecture CC Madhya 20.330-335 - New York}}
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661223CC-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>| "यदि आप कैलिफ़ोर्निया जाना चाहते हैं, तो आपको वहाँ जाना होगा। केवल विचार करने से कि मैं कैलिफ़ोर्निया जा रहा हूँ, तो क्या आप ...? नहीं । ठीक उसी प्रकार यदि आपको शान्ति चाहिए, तो उसके लिए आपको प्रयास करना होगा। कार्य विधि है। वह कार्य विधि सब के लिए उपलब्ध है, बस आपको उसे अपनाना है, नहीं तो यह संभव नहीं है। इसलिए भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु कहते है, मनुष्य जन्म सार्थक करी: "आप सबसे पहले स्वयं को परिपूर्ण बनाओ; फिर प्रचार करो।" स्वयं निर्रथक बन कर प्रचार नहीं कर सकते। नहीं।" |Vanisource:661223 - Lecture CC Madhya 20.330-335 - New York|661223 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३३०-३३५ - न्यूयार्क}}

Latest revision as of 04:33, 5 April 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप कैलिफ़ोर्निया जाना चाहते हैं, तो आपको वहाँ जाना होगा। केवल विचार करने से कि मैं कैलिफ़ोर्निया जा रहा हूँ, तो क्या आप ...? नहीं । ठीक उसी प्रकार यदि आपको शान्ति चाहिए, तो उसके लिए आपको प्रयास करना होगा। कार्य विधि है। वह कार्य विधि सब के लिए उपलब्ध है, बस आपको उसे अपनाना है, नहीं तो यह संभव नहीं है। इसलिए भगवान् श्री चैतन्य महाप्रभु कहते है, मनुष्य जन्म सार्थक करी: "आप सबसे पहले स्वयं को परिपूर्ण बनाओ; फिर प्रचार करो।" स्वयं निर्रथक बन कर प्रचार नहीं कर सकते। नहीं।"
661223 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३३०-३३५ - न्यूयार्क