HI/670109 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670109CC-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"नित्य सिद्ध जिव केवल कृष्ण से प्रेम करके संतुष्ट है। यही उनकी संतुष्टि है। हर कोई प्रेम करना चाहता है। यह एक स्वाभाविक झुकाव है। हर कोई। जब कोई प्यार करने की वस्तु नहीं होती है, तो इस भौतिक दुनिया में हम कभी-कभी बिल्लियों और कुत्तों को प्यार करते हैं।आप समझ सकते हैं? क्योंकि मुझे किसी से प्यार करना है।अगर मुझे कोई योग्य व्यक्ति प्रेम करने के लिए नहीं मिलता तोह फिर मैं अपना प्रेम किसी शौक मैं बदल देता हु, या किसी जानवर, इस तरह, क्योकि प्रेम है वहा । तो यह निष्क्रिय है। कृष्ण के लिए हमारा प्यार निष्क्रिय है। यह हमारे भीतर है, लेकिन क्योंकि हमारे पास कोई जानकारी नहीं है कृष्णा के बारे मैं, इसलिए हम हमारा प्यार ऐसे चीज़ पे जता रहे है जो निराशा देती है । यह प्यार का उद्देश्य नहीं है इसलिए हम निराश हैं। "|Vanisource:670109 - Lecture CC Madhya 22.11-15 - New York|670109 - Lecture CC Madhya 22.11-15 - New York}}
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Latest revision as of 09:24, 29 October 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"नित्य सिद्ध जीव, वे केवल कृष्ण से प्रेम करके ही संतुष्ट होते हैं। वही उनकी संतुष्टि है। हर कोई प्रेम करना चाहता है। यह एक प्राकृतिक प्रवृत्ति है। हरेक। जब कभी प्रेम करने के लिए वस्तु नहीं मिलती, तब इस भौतिक दुनिया में हम कभी-कभी बिल्लि और कुत्तों से प्यार करने लगते हैं। देखा आपने ? क्योंकि मुझे किसी से तो प्रेम करना ही है। अगर मुझे कोई योग्य व्यक्ति प्रेम करने के लिए नहीं मिलता, तो फिर मैं अपना प्रेम किसी शौक मैं बदल देता हूँ, या किसी जानवर के प्रति, इस तरह, क्योंकि प्रेम तो करना ही है। तो यह निष्क्रिय है। कृष्ण के लिए हमारा प्रेम निष्क्रिय है। यह हमारे भीतर है, किन्तु क्योंकि कृष्ण सम्बंधित हमारे पास कोई जानकारी नहीं है, हम अपना प्रेम ऐसी वस्तुओं पर जताते हैं, जो केवल निराशा देती है। वे प्रेम की वस्तु नहीं है, इसलिए हम निराश होते हैं।"
670109 - प्रवचन चै.च. मध्य २२.११-१५ - न्यूयार्क