HI/670124 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670124CC-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|कुछ नैतिकतावादी कहते हैं कि "क्या उपयोग है - भगवान, भगवान, हरे कृष्ण का ? बस अपना कर्तव्य निभाएं।" लेकिन उनहे पता नहीं है कि उनका कर्तव्य क्या है। उनका कर्तव्य केवल भगवान की पूजा करना है, और कुछ भी नहीं। यही उनका कर्तव्य है। अन्य सभी कर्तव्य केवल माया जाल हैं। अन्य कोई कर्तव्य नहीं है। यही मानव जीवन का कर्तव्य है। जानवर उस कर्तव्य को अंजाम नहीं दे सकते। सिर्फ इंसान ही इसे निभा सकता है। इसलिए हमारा एकमात्र कर्तव्य है कि हम ईश्वर को समझें और खुद इसे करने में जुट जायें।|Vanisource:670124 - Lecture CC Madhya 25.40-50 - San Francisco|670124 - प्रवचन CC Madhya 25.40-50 - सैन फ्रांसिस्को}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/670123b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|670123b|HI/670205 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|670205}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670124CC-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|"जैसे की कुछ नैतिकतावादी कहते हैं कि "क्या उपयोग है - भगवान, भगवान, हरे कृष्ण का? बस अपना कर्तव्य निभाओ।" किन्तु उन्हें पता नहीं है कि, उनका कर्तव्य क्या है। कर्तव्य है केवल भगवान की पूजा करना, और कुछ भी नहीं। यही कर्तव्य है। अन्य सभी कर्तव्य केवल माया का जाल हैं। अन्य कोई कर्तव्य नहीं है। क्योंकि यह मनुष्य जीवन केवल उसी कर्तव्य के लिए है। पशु इस कर्तव्य को निभा नहीं सकते। सिर्फ मनुष्य ही इसे निभा सकता है। इसलिए हमारा एकमात्र कर्तव्य है, कि हम भगवान को समझें और स्वयं इस मार्ग में जुट जायें।" |Vanisource:670124 - Lecture CC Madhya 25.40-50 - San Francisco|670124 - प्रवचन चै.च. मध्य २५.४०-५० - सैन फ्रांसिस्को}}

Latest revision as of 17:21, 3 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जैसे की कुछ नैतिकतावादी कहते हैं कि "क्या उपयोग है - भगवान, भगवान, हरे कृष्ण का? बस अपना कर्तव्य निभाओ।" किन्तु उन्हें पता नहीं है कि, उनका कर्तव्य क्या है। कर्तव्य है केवल भगवान की पूजा करना, और कुछ भी नहीं। यही कर्तव्य है। अन्य सभी कर्तव्य केवल माया का जाल हैं। अन्य कोई कर्तव्य नहीं है। क्योंकि यह मनुष्य जीवन केवल उसी कर्तव्य के लिए है। पशु इस कर्तव्य को निभा नहीं सकते। सिर्फ मनुष्य ही इसे निभा सकता है। इसलिए हमारा एकमात्र कर्तव्य है, कि हम भगवान को समझें और स्वयं इस मार्ग में जुट जायें।"
670124 - प्रवचन चै.च. मध्य २५.४०-५० - सैन फ्रांसिस्को