HI/670315 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670315SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|"इस युग मे, कलियुग, भगवान का अवतार है। वह क्या है, भगवान का अवतार? वह त्विष आकर्षणम। उनका शारीरिक रंग काला नहीं है। कृष्ण काले हैं, पर वह कृष्ण है, वह भगवान श्री चैतन्य। भगवान श्री चैतन्य कृष्णा। और उनका कार्य क्या है ? अब, कृष्णा- वर्णनम। वह हमेशा जपते है हरे कृष्णा, हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा, हरे हरे, हरे रामा हरे..., वरनयाती। कृष्णा- वर्णनम त्विष कृष्णम और संगोपंगासत्र ([[Vanisource:SB 11.5.32|श्री ११.५.३२]])। वह संघ हैं... आप चित्र देख रहे हैं। वह चार अन्य लोगों के संघ में हैं। और इस चित्र में भी आप देखेंगे वह,संग है। तो आप इस चित्र या इस रूप को अपने पहले रखें और बस जपते नाचते रहे। इसे पू़ंजना केहते हैै।"|Vanisource:670315 - Lecture SB 07.07.29-31 - San Francisco|670315 - Lecture SB 07.07.29-31 - San Francisco}}
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Latest revision as of 12:48, 22 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस युग, कलियुग में, भगवान का अवतार है। वह भगवान का अवतार क्या है? वह त्विष-अकृष्णम है, उनका शारीरिक वर्ण श्याम नहीं है। कृष्ण श्याम हैं, किन्तु वह कृष्ण है, वह भगवान श्री चैतन्य। भगवान श्री चैतन्य, कृष्ण। और उनका कार्य क्या है ? अब, कृष्ण-वर्णम । वह सदा हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे, हरे राम हरे..., वर्णयति , का जाप करते हैं। कृष्ण-वर्णम त्विषाकृष्णम और संगोपंगास्त्र पार्षदम (श्री.भा. ११.५.३२)। वे संग में हैं... आप चित्र देख रहे हैं। वे चार अन्य व्यक्तिओ के संग में हैं। और इस चित्र में आप यह भी देख रहे हैं, वे संग में हैं। तो आप इस चित्र या इस विग्रह को अपने समक्ष रखें और बस कीर्तन करते जाएँ और नाचते रहें। ये भक्ति हैै।"
670315 - प्रवचन श्री.भा. ७.७.२९-३१ - सैन फ्रांसिस्को