HI/680318 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680317b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680317b|HI/680320 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680320}} | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680317b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680317b|HI/680320 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680320}} | ||
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680318SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|शुकदेव गोस्वामी कहते हैं, ततश् च | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680318SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|शुकदेव गोस्वामी कहते हैं, ततश् च अनुदिनं। अनुदिनं का अर्थ है 'जैसे-जैसे दिन बीतेंगे'। तो लक्षण क्या होंगे? नान्क्ष्यति। नान्क्ष्यति का अर्थ है धीरे-धीरे कम होना। क्या कम हो जाएगा? धर्म; सत्यवादिता; स्वच्छता; क्षमा; दयालुता; आयु; बल; और स्मृति। इन आठ विषयों को समझने का प्रयास करें। पहली वस्तु धार्मिकता है। जैसे-जैसे कलियुग बढ़ेगा, लोग अधिकाधिक अधार्मिक होते जाएंगे। और वे अधिक से अधिक झूठ बोलने वाले बन जाएंगे। वे सच बोलना भूल जाएंगे। शौचं, स्वच्छता, भी कम हो जाएगी।|Vanisource:680318 - Lecture SB 12.02.01 - San Francisco|680318 - प्रवचन श्री.भा. १२.२.१ - सैन फ्रांसिस्को}} |
Latest revision as of 06:07, 24 May 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
शुकदेव गोस्वामी कहते हैं, ततश् च अनुदिनं। अनुदिनं का अर्थ है 'जैसे-जैसे दिन बीतेंगे'। तो लक्षण क्या होंगे? नान्क्ष्यति। नान्क्ष्यति का अर्थ है धीरे-धीरे कम होना। क्या कम हो जाएगा? धर्म; सत्यवादिता; स्वच्छता; क्षमा; दयालुता; आयु; बल; और स्मृति। इन आठ विषयों को समझने का प्रयास करें। पहली वस्तु धार्मिकता है। जैसे-जैसे कलियुग बढ़ेगा, लोग अधिकाधिक अधार्मिक होते जाएंगे। और वे अधिक से अधिक झूठ बोलने वाले बन जाएंगे। वे सच बोलना भूल जाएंगे। शौचं, स्वच्छता, भी कम हो जाएगी। |
680318 - प्रवचन श्री.भा. १२.२.१ - सैन फ्रांसिस्को |