HI/680323 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६८ Category:HI/अम...") |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680323MW-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>| | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680320 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680320|HI/680323b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680323b}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680323MW-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|हम बहुत ही अनिश्चित स्थिति में हैं । बहुत प्रतिकूल स्थिति है । सबसे श्रेष्ठ है की कृष्ण से प्रार्थना करें, 'कृपया मुझे बहुत जल्द उठाएं और मुझे वापस आपके निवास में ले जाए ।' यदि आपको फिर से वापस आना है, तो, ओह, आप नहीं जानते हमें कितने कष्टों से गुज़रना होगा । क्योंकि कलियुग की उन्नति के साथ-साथ सब कुछ अधिकाधिक कष्टप्रद होता जा रहा है । पारिवारिक जीवन में कोई सुख नहीं है, सामाजिक जीवन में कोई सुख नहीं है, राजनीतिक जीवन में कोई सुख नहीं है, आजीविका कमाने में कोई सुख नहीं है । सब कुछ भारग्रस्त है ।|Vanisource:680323 - Morning Walk - San Francisco|680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को}} |
Revision as of 16:44, 15 April 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
हम बहुत ही अनिश्चित स्थिति में हैं । बहुत प्रतिकूल स्थिति है । सबसे श्रेष्ठ है की कृष्ण से प्रार्थना करें, 'कृपया मुझे बहुत जल्द उठाएं और मुझे वापस आपके निवास में ले जाए ।' यदि आपको फिर से वापस आना है, तो, ओह, आप नहीं जानते हमें कितने कष्टों से गुज़रना होगा । क्योंकि कलियुग की उन्नति के साथ-साथ सब कुछ अधिकाधिक कष्टप्रद होता जा रहा है । पारिवारिक जीवन में कोई सुख नहीं है, सामाजिक जीवन में कोई सुख नहीं है, राजनीतिक जीवन में कोई सुख नहीं है, आजीविका कमाने में कोई सुख नहीं है । सब कुछ भारग्रस्त है । |
680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को |