HI/680324b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:52, 21 May 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
ब्रह्म-कर्म । ब्रह्म परम भगवान् है, ब्रह्म का अंतिम शब्द । तो आपको स्वयं को, ब्रह्म-कर्म, अर्थात कृष्ण भावनामृत में लगाना होगा । और अपने गुणों का प्रदर्शन करें, कि आप सच्चे हैं, आप इंद्रियों पर नियंत्रण कर रहे हैं, मन पर नियंत्रण कर रहे हैं, और आप सरल हैं और आप सहनशील हैं । क्योंकि जैसे ही आप आध्यात्मिक जीवन अपनाते हैं, पूरी कक्षा माया द्वारा संचालित होती है, वे आपके खिलाफ होंगे । यह माया का प्रभाव है । कोई आलोचना करेगा । कोई ऐसा करेगा, कोई वैसा करेगा, लेकिन हम... हमें सहनशील बनना होगा । यह इस भौतिक दुनिया की बीमारी है । यदि कोई आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो जाता है, तो माया के प्रतिनिधि आलोचना करेंगे । इसलिए आपको सहनशील बनना होगा । |
680324 - प्रवचन दीक्षा - सैन फ्रांसिस्को |