HI/680402 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे का यह जप दिव्य स्पंदन, ध्वनि है । ध्वनि समस्त सृष्टि की स्रोत है । तो यह दिव्य ध्वनि, यदि आप इसका कंपन करते हैं, तो आप कृष्ण भावनामृत के इस दर्शन को बहुत जल्दी समझ जाएंगे । और आपकी ओर से कोई नुकसान नहीं है । मान लीजिए कि आपने हरे कृष्ण का जप करते है; आप कुछ भी नहीं खोते हैं । लेकिन अगर कोई लाभ होता है, तो आप इसे क्यों नहीं आज़माते हैं ? हम बस हाथ जोड़कर आपसे अनुरोध करते हैं कि आप कृपया हरे कृष्ण का जप करें । हम आपसे बस इतना ही निवेदन कर रहे हैं, हम आपसे यह नहीं कह रहे की आप हमें कुछ भुगतान करें या कुछ कष्ट भुगतें या शिक्षित हों या इंजीनियर बनें या वकील बनें, फिर हमारे पास आएं । आप जो भी हों, अपनी स्थिति में बने रहें । बस इन सोलह शब्दों का उच्चारण करने की कोशिश करें, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम, राम, हरे हरे ।
680402 - प्रवचन - सैन फ्रांसिस्को