तो कृष्ण भावनामृत आंदोलन है । यह नया आंदोलन नहीं है । यह आंदोलन कम से कम, पाँच सौ साल पहले से है । भगवान चैतन्य, उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में इस आंदोलन की शुरुआत की थी । यह आंदोलन भारत में अभी भी हर जगह है, लेकिन आपके देश में, निश्चित रूप से, यह नया है । लेकिन हमारा अनुरोध है कि आप कृपया इस आंदोलन को गंभीरता से लें । हम आपसे आपकी तकनीकी प्रगति को रोकने के लिए नहीं कहते हैं । आप इसे करिये । बंगाल में एक अच्छी कहावत है कि एक महिला घरेलू काम में व्यस्त होने के बावजूद..., वह खुद को अच्छी तरह से सजाती है । यह महिलाओं की प्रकृति है । जब वे बाहर जाती हैं तो वे बहुत अच्छी तरह से कपड़े पहनती हैं । इसी तरह, आप हर तरह की तकनीक में व्यस्त हो सकते हैं । यह मना नहीं है । लेकिन साथ ही, आप इस तकनीक, आत्मा के विज्ञान को समझने की कोशिश कीजिये ।
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