HI/680718 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
सौ मील तक आकाश में बादल के बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन सौ मील हो कर भी, क्या सूर्य को ढकना संभव है, सौ मील बादल से ? सूर्य स्वयं इस पृथ्वी से कई सौ हजार गुना अधिक है । इसी तरह माया परम ब्रह्म को ढक नहीं सकती । माया, ब्रह्म के छोटे कणों को ढक सकती है । इसलिए हम माया, या बादल से आच्छादित हो सकते हैं, लेकिन परम ब्रह्म माया से कभी भी आच्छादित नहीं होते है । यही मायावाद दर्शन और वैष्णव दर्शन के बीच का अंतर है । मायावाद दर्शन कहता है कि परम सत्य आच्छादित किया गया है । परम भगवान् आच्छादित नहीं किये जा सकते । फिर वे कैसे परम भगवान् हो सकते है ? आवरण परम सत्य हो जाता है । ओह, बहुत सारे तर्क हैं... लेकिन हम मानते हैं कि बादल धूप के छोटे कणों को आच्छादित करता है । लेकिन सूर्य जैसा है वैसा ही रहता है । और हम व्यावहारिक रूप से यह भी देखते हैं कि जब हम जेट विमान से जाते हैं, तो हम बादल के ऊपर होते हैं । ऊपर कोई बादल नहीं है । सूर्य स्पष्ट है । निचले दर्जे में कुछ बादल हैं ।
680718 - प्रवचन अंश - मॉन्ट्रियल