HI/680817 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:58, 9 June 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
हमें इस सिद्धांत की शिक्षा देने के लिए कि सब कुछ भगवान का है, यह शुरुआत है, कि हमें जो कुछ भी मिला है, उसे अर्पित करने का प्रयास करना चाहिए । कृष्ण आप से थोड़ा सा पानी, थोड़ा सा फूल, थोड़ी सा पत्ता या थोड़ा सा फल लेने के लिए तैयार हैं । व्यावहारिक रूप से इसका कोई मूल्य नहीं है, लेकिन जब आप कृष्ण को देना शुरू करते हैं, तो धीरे-धीरे एक समय आएगा जब आप गोपियों की तरह कृष्ण को सब कुछ देने के लिए तैयार होंगे । यह प्रक्रिया है । सर्वात्मना । सर्वात्मना । सर्वात्मना का अर्थ है सब कुछ । यह हमारा स्वाभाविक जीवन है । जब हम इस चेतना में होते हैं कि 'कुछ भी मेरे लिए नहीं है । सब कुछ ईश्वर का है, और सब कुछ ईश्वर के आनंद के लिए है, मेरे इंद्रिय भोग के लिए नहीं', इसे कृष्ण भावनामृत कहा जाता है । |
680817 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.११ - मॉन्ट्रियल |