HI/680817c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680817VP-MONTREAL_ND_02.mp3</mp3player>|"आप में से हर एक को आध्यात्मिक गुरु होना चाहिए। और वह कर्तव्य क्या है? आप जो कुछ भी मुझसे सुन रहे हैं, जो कुछ भी आप मुझसे सीख रहे हैं, आपको उसी को टोटो में वितरित करना है, बिना किसी जोड़ या फेरबदल के। फिर आप सभी आध्यात्मिक गुरु बनें। यह आध्यात्मिक गुरु बनने का विज्ञान है। आध्यात्मिक गुरु बहुत ... आध्यात्मिक गुरु बनना बहुत ही अद्भुत बात नहीं है। बस एक व्यक्ति को ईमानदार आत्मा बनना है। बस इतना ही है। एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः ([[Vanisource:BG 4.2|BG 4.2]])। भगवद गीता में कहा गया है कि "शिष्य उत्तराधिकार द्वारा भगवद गीता की इस योग प्रक्रिया को शिष्य से शिष्य को सौंप दिया गया था।"|Vanisource:680817 - Lecture Festival Appearance Day, Sri Vyasa-puja - Montreal|680817 - प्रवचन Festival Appearance Day, Sri Vyasa-puja - मॉन्ट्रियल}}
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Revision as of 17:35, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
आप में से हर एक को अगला आध्यात्मिक गुरु होना चाहिए । और वह कर्तव्य क्या है ? आप जो कुछ भी मुझसे सुन रहे हैं, जो कुछ भी आप मुझसे सीख रहे हैं, आपको उसी को पूर्णतः वितरित करना है, बिना किसी जोड़ या फेरबदल के । फिर आप सभी आध्यात्मिक गुरु बन जाएंगे । यह आध्यात्मिक गुरु बनने का विज्ञान है । आध्यात्मिक गुरु बनना कुछ बहुत अद्भुत बात नहीं है । बस व्यक्ति को गंभीर बनना है । बस इतना ही है । एवं परम्परा प्राप्तम इमं राजर्षयो विदुः (भ.गी. ४.२) । भगवद गीता में कहा गया है कि शिष्य उत्तराधिकार द्वारा भगवद गीता की इस योग प्रक्रिया को शिष्य से शिष्य को बताया गया था ।
680817 - प्रवचन उत्सव प्राकट्य दिन, श्री व्यास-पूजा - मॉन्ट्रियल