तो चैतन्य महाप्रभु के पास ये सभी सुविधाए थीं । वे अपने देश में बहुत सम्मानित एवं ज्ञानी युवा थे; उनके कई अनुयायी थे । एक घटना में हम समझ सकते हैं कि वे कितने प्रिय नेता थे । काज़ी ने उनके संकीर्तन आंदोलन को चुनौती दी और पहली बार उन्हें हरे कृष्ण का जाप न करने की चेतावनी दी, और जब उन्होंने इसकी परवाह नहीं की, तो काज़ी ने मृदंग को तोड़ देने का आदेश दिया । तो सैनिको ने आकर मृदंग को तोड़ दिया । यह जानकारी भगवान चैतन्य को दी गई, और उन्होंने सविनय अवज्ञा का आदेश दिया । वह भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी ।
|