HI/680911 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 00:45, 9 January 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
एक कृष्णभावनामृत व्यक्ति को मूर्ख नहीं होना चाहिए। यदि उन्हें यह समझाने की आवश्यकता है कि ये सार्वभौमिक ग्रह कैसे तैर रहे हैं, यह मानव शरीर कैसे घूम रहा है, जीवन की कितनी प्रजातियां हैं, उनका विकास कैसे हो रहा है ... ये सभी वैज्ञानिक ज्ञान हैं- भौतिकी, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान, सब कुछ। इसलिए कृष्ण कहते हैं, यज ज्ञात्वा यदि तुम इस ज्ञान को, कृष्णभावनामृत को समझते हो, तो तुम्हारे पास जानने के लिए कुछ भी नहीं रह जाएगा। इसका अर्थ है कि आपको पूरी जानकारी होगी। हम ज्ञान के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन अगर हम कृष्ण चेतना के ज्ञान में हैं, और अगर हम कृष्ण को जानते हैं, तो सारो ज्ञान सम्मिलत है।
680911 - प्रवचन BG 07.02 - सैन फ्रांसिस्को