HI/680912 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680912SB-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|एक कुत्ता घिनौनी हालत में भी हर्षित रहता है । वह सोचता है,"मैं बहुत खुश हूँ ।" तो एक सुवर, या कोई भी जानवर... हम इंसान हैं; हमें जीवन की बेहतर सुविधाएं दी गई हैं । जानवरों को प्रकृति द्वारा इतनी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं, लेकिन फिर भी, वे खुश रहते हैं । अगर हम कहते हैं, निश्चित रूप से, सीधे, किसी को बुरा लग सकता है, लेकिन यह प्रकृति का नियम है । तो व्यक्ति कितनी ही घिनौनी स्थिति में हो परन्तु उसे लगता है कि वह खुश है ।|Vanisource:680912 - Lecture SB 06.01.06-15 - San Francisco|680912 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.६-१५ - सैन फ्रांसिस्को}}
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Latest revision as of 07:03, 27 June 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
एक कुत्ता घिनौनी हालत में भी हर्षित रहता है। वह सोचता है, "मैं बहुत खुश हूँ।" यह एक सुअर या किसी भी जानवर की स्थिति है। परंतु हम इंसान हैं; हमें जीवन की बेहतर सुविधाएं दी गई हैं। जानवरों को प्रकृति द्वारा इतनी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं, परंतु फिर भी वे खुश रहते हैं। तो अंतर कंहा है? यदि हम यह सीधे रूप से किसी से कहते हैं तो निश्चित रूप से उसे बुरा लग सकता है, परंतु यह प्रकृति का नियम है। तो व्यक्ति कितनी ही घिनौनी स्थिति में हो परन्तु उसे लगता है कि वह खुश है।
680912 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.६-१५ - सैन फ्रांसिस्को