HI/681011b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
यह चेतना सूत्र समझने में बहुत सरल है । कोई भी समझ सकता है । जैसे कि यह शरीर है, जब तक इस शरीर के भीतर आत्मा है, तब तक चेतना है । जैसे जितनी देर तक सूरज दिखाई देता है, तब तक गर्मी और धूप रहती हैं । इसी तरह, जब तक आत्मा इस शरीर के भीतर है, हमें यह चेतना रहती है । और जैसे ही आत्मा इस शरीर से चली जाती है, तब कोई चेतना नहीं होती है । |
681011 - प्रवचन - सिएटल |