HI/681025 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 00:04, 1 February 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
अभी हम भौतिक चेतना की स्थिति में हैं, और हमें आध्यात्मिक चेतना, या कृष्ण भावनामृत में विकसित होना है । इसके क्या चरण हैं ? जिसका वर्णन किया जा रहा है । इसका मतलब यह है कि आत्मा और शरीर का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने का यही सामान्य तरीका है । लेकिन भगवान चैतन्य महाप्रभु ने हमें एक विशेष उपहार दिया है, लेकिन, इसके बावजूद कि हमारी हर चीज को बहुत ही विश्लेषणात्मक रूप से ना समझने के बावजूद, जैसा कि वैदिक शास्त्रों में वर्णित है, कोई भी व्यक्ति भगवान के पवित्र नाम का जप करके सरल प्रक्रिया से स्वयं को समझ सकता है । यह भगवान चैतन्य का विशेष उपहार है । उन्होंने कहा है कि यदि आप इस हरे कृष्ण मंत्र का जाप करते हैं, तो स्वचालित रूप से आपके लिए सब कुछ प्रकट हो जाएगा ।
681025 - प्रवचन भ.गी. १३.६-७ - मॉन्ट्रियल