HI/681125b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 04:29, 13 July 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप शुद्ध भक्त का अनुसरण करते हैं, तो आप भी शुद्ध भक्त हैं। हो सकता है कि कोई शत-प्रतिशत शुद्ध न हो, क्योंकि हम अपने आप को बद्ध जीवन से ऊपर उठाने का प्रयास कर रहे हैं। किंतु यदि हम शुद्ध भक्त के द्वारा दिए गए नियमों का सख्ती से पालन करते हैं, तो हम भी शुद्ध भक्त हैं। जब तक हम ऐसा करते हैं, तब तक हम शुद्ध हैं। तो शुद्ध भक्त का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति को तुरंत शत-प्रतिशत शुद्ध हो जाना चाहिए। परंतु यदि वह इस सिद्धांत पर कायम रहता है कि, "हम एक शुद्ध भक्त का अनुसरण करेंगे, तो वह एक शुद्ध भक्त के समान है।" यह नहीं है कि मैं अपने तरीके से समझा रहा हूं; यह भागवत की व्याख्या है। महाजनो येन गतः स पंताः(CC Madhya 17.186)."
681125 - प्रवचन BG 02.01-10 - लॉस एंजेलेस