HI/681228d प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"व्यक्ति मन की दीन अवस्था में भगवान के पवित्र नाम का गुणगान कर सकता है, स्वयं को राह में (पड़े हुए) तृण के तुल्य समझते हुए, वृक्ष से भी अधिक सहनशील, मिथ्या अहंकार भावना से शून्य और दूसरों को सभी सम्मान अर्पण के लिए तत्पर। मन की ऐसेी अवस्था में व्यक्ति भगवान के पवित्र नाम का गुणगान कर सकता है।"
Lecture Purport Excerpt to Sri Sri Siksastakam - - लॉस एंजेलेस