HI/690222 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690220 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690220|HI/690305 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690305}}
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690220 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690220|HI/690305 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690305}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690222BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|“जन्म कर्म च मे दिव्यम  
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690222BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|“जन्म कर्म च मे दिव्यम
एवं यो वेत्ति तत्वतः  
एवं यो वेत्ति तत्वतः
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन : (भ. गी. ४.९)
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन: (भ. गी. ४.९)
चौथे अध्याय में कहा गया है कि 'मेरा आविर्भाव, तिरोधन और गतिविधियां सभी परलौकिक हैं। जो कोई भी मेरी गतिविधियों, उपस्थिति, तिरोभाव के इस परलौकिक स्वरूप को समझ सकता है, उसका परिणाम है', त्यक्त्वा देहम,' इस शरीर को छोड़ने के बाद', पुनर्जन्म नैति ' वह इस भौतिक दुनिया में फिर से जन्म नहीं लेता'। जो चौथे अध्याय में बताया गया है। इसका मतलब है कि तुरंत मुक्ति मिली। यह सच है।"|Vanisource:690222 - Lecture BG 07.01 - Los Angeles|690222 - प्रवचन भ. गी. ७.०१ - लॉस एंजेलेस}}
चौथे अध्याय में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का आविर्भाव, तिरोभाव और गतिविधियां सभी परलौकिक हैं। जो कोई भी उनकी गतिविधियों, उपस्थिति, तिरोभाव के इस परलौकिक स्वरूप को समझ सकता है, उसका परिणाम है, 'त्यक्त्वा देहम', 'इस शरीर को छोड़ने के बाद', पुनर्जन्म नैति, 'वह इस भौतिक दुनिया में फिर से जन्म नहीं लेता'। यह चौथे अध्याय में बताया गया है। इसका अर्थ है कि तुरंत मुक्ति मिलती है। यह सत्य है।"|Vanisource:690222 - Lecture BG 07.01 - Los Angeles|690222 - प्रवचन भ. गी. ७.०१ - लॉस एंजेलेस}}

Latest revision as of 06:09, 30 August 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
“जन्म कर्म च मे दिव्यम

एवं यो वेत्ति तत्वतः त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन: (भ. गी. ४.९) चौथे अध्याय में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का आविर्भाव, तिरोभाव और गतिविधियां सभी परलौकिक हैं। जो कोई भी उनकी गतिविधियों, उपस्थिति, तिरोभाव के इस परलौकिक स्वरूप को समझ सकता है, उसका परिणाम है, 'त्यक्त्वा देहम', 'इस शरीर को छोड़ने के बाद', पुनर्जन्म नैति, 'वह इस भौतिक दुनिया में फिर से जन्म नहीं लेता'। यह चौथे अध्याय में बताया गया है। इसका अर्थ है कि तुरंत मुक्ति मिलती है। यह सत्य है।"

690222 - प्रवचन भ. गी. ७.०१ - लॉस एंजेलेस