HI/690222 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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एवं यो वेत्ति तत्वतः | एवं यो वेत्ति तत्वतः | ||
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन : (भ. गी. ४.९) | त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन: (भ. गी. ४.९) | ||
चौथे अध्याय में कहा गया है कि | चौथे अध्याय में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का आविर्भाव, तिरोभाव और गतिविधियां सभी परलौकिक हैं। जो कोई भी उनकी गतिविधियों, उपस्थिति, तिरोभाव के इस परलौकिक स्वरूप को समझ सकता है, उसका परिणाम है, 'त्यक्त्वा देहम', 'इस शरीर को छोड़ने के बाद', पुनर्जन्म नैति, 'वह इस भौतिक दुनिया में फिर से जन्म नहीं लेता'। यह चौथे अध्याय में बताया गया है। इसका अर्थ है कि तुरंत मुक्ति मिलती है। यह सत्य है।"|Vanisource:690222 - Lecture BG 07.01 - Los Angeles|690222 - प्रवचन भ. गी. ७.०१ - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 06:09, 30 August 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
“जन्म कर्म च मे दिव्यम
एवं यो वेत्ति तत्वतः त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सो अर्जुन: (भ. गी. ४.९) चौथे अध्याय में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का आविर्भाव, तिरोभाव और गतिविधियां सभी परलौकिक हैं। जो कोई भी उनकी गतिविधियों, उपस्थिति, तिरोभाव के इस परलौकिक स्वरूप को समझ सकता है, उसका परिणाम है, 'त्यक्त्वा देहम', 'इस शरीर को छोड़ने के बाद', पुनर्जन्म नैति, 'वह इस भौतिक दुनिया में फिर से जन्म नहीं लेता'। यह चौथे अध्याय में बताया गया है। इसका अर्थ है कि तुरंत मुक्ति मिलती है। यह सत्य है।" |
690222 - प्रवचन भ. गी. ७.०१ - लॉस एंजेलेस |