HI/690410b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690410SB-NEW_YORK_ND_02.mp3</mp3player>|"उन्नत कृष्ण जागरूक व्यक्ति के पास एक आध्यात्मिक शरीर होता है ऐसा माना जाता है । ऐसा उदहारण जो मैंने कई बार दिया है: जिस तरह लोहे की छड़ी की तरह। आप आग में डालते हैं, यह गर्म और गर्म हो जाता है। जितना वह आग से जुड़ा हुआ है, वह बन जाता है, गर्म, गर्म, गर्म ।और अंत में यह लाल गर्म हो जाता है, इसलिए उस समय, अगर किसी भी अन्य चीज़ को लोहा स्पर्श होता है, तो वह जलता है। यह लोहे के रूप में कार्य नहीं करता है, यह आग की तरह काम करता है। उसी तरह कृष्ण चेतना, निरंतर जप, आप अपने शरीर को आध्यात्मिकता बना देंगे। इस समय, जहाँ भी तुम जाते हो, जहाँ भी तुम छूते हो, वह भी आध्यात्मिक हो जाएगा।"|Vanisource:690410 - Lecture SB 02.01.01-4 - New York|690410 - Lecture SB 02.01.01-4 - New York}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690410 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690410|HI/690411 बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690411}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690410SB-NEW_YORK_ND_02.mp3</mp3player>|उन्नत कृष्ण भावनाभावित व्यक्ति का शरीर आध्यात्मिक माना जाता है । ऐसा उदहारण जो मैंने कई बार दिया है: जैसे लोहे की छड़ी आप आग में डालते हैं, यह गर्म और गर्म हो जाता है । जितना वह आग से जुड़ा हुआ है, वह बन जाता है, गर्म, गर्म, गर्म । और अंत में यह लाल गर्म हो जाता है, तो उस समय, अगर किसी भी अन्य चीज़ को लोहा स्पर्श होता है, तो वह जला देता है । वह लोहे के रूप में कार्य नहीं करता है, वह आग की तरह काम करता है । उसी तरह कृष्ण भावनामृत, निरंतर जप, आप अपने शरीर को आध्यात्मिक बना देंगे । उस समय, जहाँ भी आप जाते हो, जहाँ भी आप छूते हो, वह भी आध्यात्मिक हो जाएगा । उसी तरह, आध्यात्मिक हुए बिना, लाल गर्म हुए बिना, अगर आप छुओंगे, वो काम नहीं करेगा । तो हम सभी को, जो लोग इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन में आए है, उनसे आशा की जाती है की वे भविष्य में प्रचार करे और आध्यात्मिक गुरु भी बने । परन्तु सबसे पहले आप खुद को आध्यात्मिक बनाइए, नहीं तो वो बेकार है ।|Vanisource:690410 - Lecture SB 02.01.01-4 - New York|690410 - प्रवचन श्री.भा. २..-- न्यूयार्क}}

Latest revision as of 03:00, 17 June 2019

Nectar Drops from Srila Prabhupada
उन्नत कृष्ण भावनाभावित व्यक्ति का शरीर आध्यात्मिक माना जाता है । ऐसा उदहारण जो मैंने कई बार दिया है: जैसे लोहे की छड़ी । आप आग में डालते हैं, यह गर्म और गर्म हो जाता है । जितना वह आग से जुड़ा हुआ है, वह बन जाता है, गर्म, गर्म, गर्म । और अंत में यह लाल गर्म हो जाता है, तो उस समय, अगर किसी भी अन्य चीज़ को लोहा स्पर्श होता है, तो वह जला देता है । वह लोहे के रूप में कार्य नहीं करता है, वह आग की तरह काम करता है । उसी तरह कृष्ण भावनामृत, निरंतर जप, आप अपने शरीर को आध्यात्मिक बना देंगे । उस समय, जहाँ भी आप जाते हो, जहाँ भी आप छूते हो, वह भी आध्यात्मिक हो जाएगा । उसी तरह, आध्यात्मिक हुए बिना, लाल गर्म हुए बिना, अगर आप छुओंगे, वो काम नहीं करेगा । तो हम सभी को, जो लोग इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन में आए है, उनसे आशा की जाती है की वे भविष्य में प्रचार करे और आध्यात्मिक गुरु भी बने । परन्तु सबसे पहले आप खुद को आध्यात्मिक बनाइए, नहीं तो वो बेकार है ।
690410 - प्रवचन श्री.भा. २.१.१-४ - न्यूयार्क