HI/690423 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बफैलो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६९ Category:HI/अम...") |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - बफैलो]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - बफैलो]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690423LE-BUFFALO_ND_01.mp3</mp3player>|" | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690417 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690417|HI/690424 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690424}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690423LE-BUFFALO_ND_01.mp3</mp3player>|"तपो दिव्यम पुत्रकायेना सत्वं शुद्धयेत। तुम्हारा अस्तित्व शुद्ध हो जाएगा। और जैसे ही तुम्हारा अस्तित्व शुद्ध होगा तुम जान जाओगे की ... पशु जीवन एवं मानव जीवन के मध्य अंतर है। वे यह है कि मानव जीवन का अस्तित्व, अधिक शुद्ध है। उसे जानवर से बेहतर चेतना मिली है।" इसी प्रकार, यदि आप अपने अस्तित्व को और अधिक शुद्ध करते हैं, तो आप धीरे-धीरे आध्यात्मिक अस्तित्व में बढ़ जाते हैं, जो पूर्ण रूप से शुद्ध जीवन है।"|Vanisource:690423 - Lecture - Buffalo|690423 - प्रवचन - बफैलो}} |
Revision as of 05:08, 28 July 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तपो दिव्यम पुत्रकायेना सत्वं शुद्धयेत। तुम्हारा अस्तित्व शुद्ध हो जाएगा। और जैसे ही तुम्हारा अस्तित्व शुद्ध होगा तुम जान जाओगे की ... पशु जीवन एवं मानव जीवन के मध्य अंतर है। वे यह है कि मानव जीवन का अस्तित्व, अधिक शुद्ध है। उसे जानवर से बेहतर चेतना मिली है।" इसी प्रकार, यदि आप अपने अस्तित्व को और अधिक शुद्ध करते हैं, तो आप धीरे-धीरे आध्यात्मिक अस्तित्व में बढ़ जाते हैं, जो पूर्ण रूप से शुद्ध जीवन है।" |
690423 - प्रवचन - बफैलो |