HI/690505 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 02:09, 2 October 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आपका व्यवसाय यह जानना है कि आप प्रसन्न किस प्रकार रहें, क्योंकि स्वभाव से आप प्रसन्नात्मा हैं। रोगग्रस्त स्थिति में उस प्रसन्नता को रोका जा रहा है। तो यह हमारी रोगग्रस्त स्थिति, यह भौतिक जीवन, यह शरीर है। इसलिए एक बुद्धिमान व्यक्ति स्वयं को रोग से बाहर निकालने के लिए एक चिकित्सक से उपचार लेता है, इसी प्रकार, मानव जीवन का अर्थ है स्वयं को विशेषज्ञ चिकित्सक के पास ले जाना, जो आपको भौतिकता के रोग से ठीक कर सके। यह आपका व्यवसाय है। तस्माद गुरुम प्रपद्यते जिज्ञासु श्रेयं उतमम् (श्रीमद भागवतम ११.३.२१)। यह सभी वैदिक साहित्य का निर्देश है। ठीक वैसे ही, जैसे कृष्ण अर्जुन को सिखा रहे हैं। अर्जुन, कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण कर रहे है।"

690505 - प्रवचन अंश - बॉस्टन