HI/690511 बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690511R1-COLUMBUS_ND_01.mp3</mp3player>|"यह कृष्ण ध्वनि और कृष्ण, गैर अलग। इसलिए अगर हम कंपन ध्वनि कृष्ण, तो मैं तुरंत कृष्ण के साथ संपर्क में हूं, और अगर कृष्ण पूरी भावना है, तो तुरंत मैं आध्यात्मिक हो जाते हैं। जैसे अगर आप बिजली को छूते हैं तो तुरंत ही आप विद्युतीकृत हो जाते हैं और तुम विद्युतीकृत हो जाते हो, और तुम कृष्णॉइझड हो जाते हो। कृष्णॉइझड। तो जब आप पूरी तरह से कृष्णॉइझड हैं, तो आप कृष्ण मंच में हैं। त्यक्त्वा देहंम पूणर जन्मभूमि नैति माम् एति कौन्तेय ([[Vanisource:BG 4.9 (1972)|भ गी ४.९]]), तो पूरी तरह से कृष्णॉइझड, कोई और इस सामग्री अस्तित्व के लिए वापस आता है। वह कृष्ण के साथ रहता है"|Vanisource:690511 - Conversation - Columbus|690511 - Conversation - Columbus}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690510 बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690510|HI/690511b बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690511b}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690511R1-COLUMBUS_ND_01.mp3</mp3player>|यह कृष्ण ध्वनि और कृष्ण, अभिन्न है । इसलिए अगर हम कृष्ण ध्वनि का उच्चारण करते है, फिर मैं तुरंत कृष्ण के साथ संपर्क में हूं, और अगर कृष्ण पूर्णतः आध्यात्मिक है, तो तुरंत मैं आध्यात्मिक हो जाता हूँ । जैसे अगर आप बिजली को छूते हैं तो तुरंत ही आप विद्युतिकृत हो जाते हैं और जैसे ही आप ज्यादा विद्युतीकृत हो जाते हो, आप और कृष्ण भावनाभावित हो जाते हो । कृष्ण भावनाभावित । तो जब आप पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित हो जाते हैं, फिर आप कृष्ण के मंच पर हैं । त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति माम् एति कौन्तेय ([[HI/BG 4.9|भ.गी. ४.९]]), फिर पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित, फिर इस भौतिक अस्तित्व में वापस आना नहीं । वह कृष्ण के साथ रहता है |Vanisource:690511 - Conversation - Columbus|690511 - बातचीत - कोलंबस}}

Latest revision as of 17:38, 17 September 2020

Nectar Drops from Srila Prabhupada
यह कृष्ण ध्वनि और कृष्ण, अभिन्न है । इसलिए अगर हम कृष्ण ध्वनि का उच्चारण करते है, फिर मैं तुरंत कृष्ण के साथ संपर्क में हूं, और अगर कृष्ण पूर्णतः आध्यात्मिक है, तो तुरंत मैं आध्यात्मिक हो जाता हूँ । जैसे अगर आप बिजली को छूते हैं तो तुरंत ही आप विद्युतिकृत हो जाते हैं । और जैसे ही आप ज्यादा विद्युतीकृत हो जाते हो, आप और कृष्ण भावनाभावित हो जाते हो । कृष्ण भावनाभावित । तो जब आप पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित हो जाते हैं, फिर आप कृष्ण के मंच पर हैं । त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति माम् एति कौन्तेय (भ.गी. ४.९), फिर पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित, फिर इस भौतिक अस्तित्व में वापस आना नहीं । वह कृष्ण के साथ रहता है ।
690511 - बातचीत - कोलंबस