HI/690606 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690606SB-NEW_VRINDABAN_ND_01.mp3</mp3player>|पूरी योजना यह होनी चाहिए कि लोगों को सर्व प्रथम यह समझना चाहिए कि वह जानवर नहीं है । यह शिक्षा है । पशु समाज में कोई धर्म नहीं है, लेकिन जैसे ही आप मानव समाज या सभ्य समाज में होने का दावा करते हैं, तो वहां अवश्य ही धर्म होना चाहिए । आर्थिक विकास गौण है । अवश्य, चिकित्सा चेतना के अनुसार वे कहते हैं कि आत्मानम, आत्मानम का अर्थ है कि वे 'शरीर' कहते हैं । लेकिन अत्मा का अर्थ यह शरीर, यह मन और आत्मा । आत्मा का वास्तविक अर्थ आध्यात्मिक आत्मा है । तो एक श्लोक है, आत्मानम सर्वतो रक्षेत: 'सबसे पहले अपनी आत्मा को बचाने की कोशिश करें' । मुझे लगता है कि प्रभु यीशु मसीह ने ऐसा ही कुछ कहा है । 'अगर, सब कुछ हासिल करने के बाद, कोई अपनी आत्मा खो देता है, तो वह क्या हासिल करता है ?' क्या ऐसा नहीं है ?|Vanisource:690606 - Lecture SB 01.05.09-11 - New Vrindaban, USA|690606 - प्रवचन श्री.भा. १.५.९-११ - न्यू वृंदावन, अमरिका}}
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Latest revision as of 08:39, 14 October 2022

Nectar Drops from Srila Prabhupada
पूरी योजना यह होनी चाहिए कि लोगों को सर्व प्रथम यह समझना चाहिए कि वह जानवर नहीं है। यह शिक्षा है। पशु समाज में कोई धर्म नहीं है, परंतु जैसे ही आप मानव समाज या सभ्य समाज में होने का दावा करते हैं, तो वहां अवश्य ही धर्म होना चाहिए। आर्थिक विकास गौण है। चिकित्सा चेतना के अनुसार वे कहते हैं कि आत्मानम, आत्मानम का अर्थ है कि वे 'शरीर' कहते हैं। परंतु आत्मा का वास्तविक अर्थ आध्यात्मिक आत्मा है। तो एक श्लोक है, आत्मानम सर्वतो रक्षेत: 'सर्वप्रथम अपनी आत्मा को बचाने का प्रयास करें'। मुझे लगता है कि प्रभु यीशु मसीह ने ऐसा ही कुछ कहा है। यदि, सब कुछ प्राप्त करने के बाद, कोई अपनी आत्मा खो देता है, तो वह क्या हासिल करता है?
690606 - प्रवचन श्री.भा. १.५.९-११ - न्यू वृंदावन, अमरिका