हम भौतिक प्रकृति की पकड़ में हैं... कर्मणा दैव-नेत्रेण (श्री.भा. ३.३१.१) । आप कई निश्चित भौतिक गुण के प्रभाव में काम कर रहे हैं, और आप अपना अगला जीवन तैयार कर रहे हैं । आप यह नहीं कह सकते, 'ठीक है, मैं अत्यंत प्रसन्न हूं , क्योंकि मेरा जन्म अमेरिका में हुआ है । मेरा देश एक महान राष्ट्र है, और हम बहुत कुलीन हैं । इसलिए मैं अपनी अगले जीवन में भी, अमेरिका में आऊंगा । मैं यहाँ जन्म लूंगा और इस तरह से आनंद लूंगा ।' ओह, यह आपके हाथ में नहीं है । आप यह नहीं कह सकते हैं । वह दैव-नेत्रेण है । दैव । दैव का अर्थ है अलौकिक शक्ति । दैव । वही वस्तु: दैवी ही एषा गुणमयी मम माया (भ.गी. ७.१४) । आप नहीं कह सकते । दैव-नैत्रेण । आप अपना आगामी जीवन तैयार कर रहे हैं । उच्च अधिकारी आपको अवसर देंगे । यदि आप स्वयं को अच्छी तरह से तैयार करते हैं, तो आपको अच्छा अवसर मिलता है; आप उच्च ग्रह में जन्म लेते हैं । तथा यदि आप स्वयं को भलीभाँति तैयार करते हैं, तो आप कृष्ण के पास भी जा सकते हैं । अब यह आपकी इच्छा है ।
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