HI/690912 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद टिटेनहर्स्ट में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - Tittenhurst‎]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - टिटेनहर्स्ट]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690912SB-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"उच्च और निम्न श्रेणी की गणना कृष्ण चेतना के संदर्भ में की जाती है। चेतना हर जगह, हर जीवित ईकाई में है। न केवल मनुष्य, बल्कि जानवर में भी चेतना है। लेकिन अंतर यह है कि, कृष्ण के बिना चेतना निम्न श्रेणी है, और अलग-अलग मात्रा में कृष्ण की चेतना, वे उच्च श्रेणी के हैं। और जब चेतना पूरी तरह से कृष्ण है, तो वह सर्वोच्च स्थिति है, या यह जीवित इकाई की वास्तविक स्थिति है। "|Vanisource:690912 - Lecture SB 05.05.01 - Tittenhurst|690912 - प्रवचन SB 05.05.01 - टिटेनहर्स्ट}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690911 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690911|HI/690913 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद टिटेनहर्स्ट में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690913}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690912SB-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"उच्च और निम्न श्रेणी की गणना कृष्ण चेतना के संदर्भ में की जाती है। चेतना हर जगह, हर जीवात्मा में है। न केवल मनुष्य, बल्कि पशुओं में भी चेतना है। लेकिन अंतर यह है कि, कृष्ण के बिना चेतना निम्न श्रेणी है, और विभिन्न अंशों में कृष्ण की चेतना, वे उच्चतर श्रेणी की हैं। और जब चेतना पूर्णतया कृष्णमय है, तो वह सर्वोच्च स्थिति है, या यह जीवात्मा की वास्तविक स्थिति है। "|Vanisource:690912 - Lecture SB 05.05.01 - Tittenhurst|690912 - प्रवचन SB 05.05.01 - टिटेनहर्स्ट}}

Latest revision as of 13:29, 1 February 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"उच्च और निम्न श्रेणी की गणना कृष्ण चेतना के संदर्भ में की जाती है। चेतना हर जगह, हर जीवात्मा में है। न केवल मनुष्य, बल्कि पशुओं में भी चेतना है। लेकिन अंतर यह है कि, कृष्ण के बिना चेतना निम्न श्रेणी है, और विभिन्न अंशों में कृष्ण की चेतना, वे उच्चतर श्रेणी की हैं। और जब चेतना पूर्णतया कृष्णमय है, तो वह सर्वोच्च स्थिति है, या यह जीवात्मा की वास्तविक स्थिति है। "
690912 - प्रवचन SB 05.05.01 - टिटेनहर्स्ट