HI/700218 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700218VA-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण हमे गीता के रूप में उपदेश देते है। परंतु कलयुग की समाप्ति तक मनुष्य इतने निकृष्ट हो जायेंगे की उपदेश देने की कोई सम्भावना ही नहीं रह जाएगी। तब उन्हें कोई उपदेश समझ नहीं आएगा। उस समय उनका संहार करना ही एकमात्र अस्त्र होगा। तथा जिनकी मृत्यु भगवान द्वारा हो , वे मुक्ति प्राप्त करते है। यह श्री भगवान् का अखिल दयालु गुण है। वे रक्षा करें या संहार निष्कर्ष समान ही निकलता है।|Vanisource:700218 - Lecture Festival Appearance Day, Lord Varaha, Varaha-dvadasi and Purport Dasavatara-stotra - Los Angeles|७००२१८ - प्रवचन उत्सव आविर्भाव दिवस वराह द्वादसी तथा अर्थ दसावतार-स्तोत्र से प्रस्तुत - लॉस एंजेलेस}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700218VA-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण हमे गीता के रूप में उपदेश देते है। परंतु कलयुग की समाप्ति तक मनुष्य इतने निकृष्ट हो जायेंगे कि उपदेश देने की कोई सम्भावना ही नहीं रह जाएगी। तब उन्हें कोई उपदेश समझ नहीं आएगा। उस समय उनका संहार करना ही एकमात्र अस्त्र होगा। तथा जिनकी मृत्यु भगवान द्वारा हो , वे मुक्ति प्राप्त करते है। यह श्री भगवान् का अखिल दयालु गुण है। वे रक्षा करें या संहार निष्कर्ष समान ही निकलता है।|Vanisource:700218 - Lecture Festival Appearance Day, Lord Varaha, Varaha-dvadasi and Purport Dasavatara-stotra - Los Angeles|७००२१८ - प्रवचन उत्सव आविर्भाव दिवस वराह द्वादसी तथा अर्थ दसावतार-स्तोत्र से प्रस्तुत - लॉस एंजेलेस}}

Latest revision as of 15:21, 3 December 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण हमे गीता के रूप में उपदेश देते है। परंतु कलयुग की समाप्ति तक मनुष्य इतने निकृष्ट हो जायेंगे कि उपदेश देने की कोई सम्भावना ही नहीं रह जाएगी। तब उन्हें कोई उपदेश समझ नहीं आएगा। उस समय उनका संहार करना ही एकमात्र अस्त्र होगा। तथा जिनकी मृत्यु भगवान द्वारा हो , वे मुक्ति प्राप्त करते है। यह श्री भगवान् का अखिल दयालु गुण है। वे रक्षा करें या संहार निष्कर्ष समान ही निकलता है।
७००२१८ - प्रवचन उत्सव आविर्भाव दिवस वराह द्वादसी तथा अर्थ दसावतार-स्तोत्र से प्रस्तुत - लॉस एंजेलेस