HI/701231 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सूरत में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जैसे यहाँ भी कहा जाता है कि "मैं एक ऋणी हूँ, और अगर मैं भुगतान नहीं करता हूँ, तो मुझे गिरफ्तार किया जाएगा या मुझे कानून द्वारा, अदालतों द्वारा दंडित किया जाएगा।" और वहाँ यह कहा जाता है कि स तत फलम भुङ्क्ते, जैसा कि आप धोखा देते हैं, जैसे आप इस जीवन में पीड़ित होते हैं, इसी तरह, तथा तावत अमुत्र वई, उसी तरह अगले जन्म में भुगतना पड़ता है। क्योंकि जीवन शाश्वत है, और हम अपने शरीर को बदल रहे हैं, तथा देहान्तरा प्राप्तिः (भ.गी. २.१३]। इन बातों पर तथाकथित शिक्षित व्यक्ति के बीच चर्चा नहीं होती है, कि जीवन निरंतर है; हम हर पल शरीर बदल रहे हैं; इसलिए हमें इस शरीर को बदलना होगा और दूसरे शरीर को स्वीकार करना होगा; दूसरा एक और शरीर स्वीकार करता है। मान लीजिए कि मैं इस कमरे में बैठा हूं, अगर मैं इस कमरे को बदल देता हूं तो मैं दूसरे कमरे में जाता हूं, इसका मतल यह नहीं है कि मैं अपने सभी दायित्वों से मुक्त हो गया हूं।"
701231- प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.४५-५० - सूरत