HI/710130b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इलाहाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710130L3-ALLAHABAD_ND_02.mp3</mp3player>|"तो यह विज्ञान, यह प्रचार, यह कृष्ण भावनामृत, हम सारे विश्व पर्यन्त वितरत करे रहे हैं। वे इसे स्वीकार कर रहे हैं। यह केवल एक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है... अतः...किन्तु यदि तुम सभी जुड़ जाओ, यदि तुम सारे विश्व पर्यन्त इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रचार करने के लिए एक वैज्ञानिक योजना बनाओ, तब एक दिन तुम देखोगे की जन समुदाय भारतवर्ष का अत्यंत आभारी हो जायेगा। वे कहेंगे कि "हमें भारतवर्ष से कुछ प्राप्त हुआ है।" वर्तमान में भारत केवल याचना कर रहा है: "मुझे धन दो, मुझे धान दो, मुझे गेहूं दो, मुझे फ़ौज़ी दो।" किन्तु वह आंदोलन, जन हम इसको उन तक ले जायेंगे, तब उनसे याचना करने का कोई प्रश्न नहीं है - यह उनको देना है। बस कुछ देने का प्रयत्न करो। यह मेरी विनती है।" |Vanisource:710130 - Lecture - Allahabad|710130 - प्रवचन - इलाहाबाद}}
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Latest revision as of 15:24, 16 March 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह विज्ञान, यह प्रचार, यह कृष्ण भावनामृत, हम सारे विश्व पर्यन्त वितरत करे रहे हैं। वे इसे स्वीकार कर रहे हैं। यह केवल एक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है... अतः...किन्तु यदि तुम सभी जुड़ जाओ, यदि तुम सारे विश्व पर्यन्त इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रचार करने के लिए एक वैज्ञानिक योजना बनाओ, तब एक दिन तुम देखोगे कि जन समुदाय भारतवर्ष का अत्यंत आभारी हो जायेगा। वे कहेंगे कि "हमें भारतवर्ष से कुछ प्राप्त हुआ है।" वर्तमान में भारत केवल याचना कर रहा है: "मुझे धन दो, मुझे धान दो, मुझे गेहूं दो, मुझे फ़ौज़ी दो।" किन्तु वह आंदोलन, जब हम इसको उन तक ले जायेंगे, तब उनसे याचना करने का कोई प्रश्न नहीं है - यह उनको देना है। बस कुछ देने का प्रयत्न करो। यह मेरी विनती है।"
710130 - प्रवचन - इलाहाबाद