HI/710203b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - गोरखपुर]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - गोरखपुर]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710203SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"एक बहुत अमीर आदमी, वह एक जगह पर स्तिथ है, लेकिन उसके नेतृत्व में बड़े, बड़े कारखाने चल रहे हैं। कारखाने का प्रबंधक, कारखाने के मजदूर, वे सभी उसी मालिक के नेतृत्व में दिन-रात काम कर रहे हैं।" यदि यह छोटे पैमाने पर संभव है, तो इसी तरह पूरे सार्वभौमिक कार्य सर्वोच्च प्रभु के नेतृत्व में चल रहे हैं-न कि वे स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। कुछ भी स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकता है।" |Vanisource:710203 - Lecture SB 06.03.12 - Gorakhpur|710203 - प्रवचन SB 06.03.12 - गोरखपुर}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710203 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710203|HI/710204 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710204}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710203SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"एक अत्यधिक कुलीन व्यक्ति, वह एक स्थान पर स्थित है, परंतु उसके नेतृत्व में बड़े बड़े कारखाने चल रहे हैं। कारखाने का प्रबंधक, कारखाने के मजदूर, वे सभी उसी मालिक के नेतृत्व में दिन-रात कार्य कर रहे हैं।" यदि यह छोटे पैमाने पर संभव है, तो इसी प्रकार संपूर्ण सार्वभौमिक कार्य सर्वोच्च भगवान कृष्ण के नेतृत्व में चल रहे हैं- न कि वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं। कुछ भी स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकता है। |Vanisource:710203 - Lecture SB 06.03.12 - Gorakhpur|710203 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०३.१२ - गोरखपुर}}

Latest revision as of 02:00, 11 October 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"एक अत्यधिक कुलीन व्यक्ति, वह एक स्थान पर स्थित है, परंतु उसके नेतृत्व में बड़े बड़े कारखाने चल रहे हैं। कारखाने का प्रबंधक, कारखाने के मजदूर, वे सभी उसी मालिक के नेतृत्व में दिन-रात कार्य कर रहे हैं।" यदि यह छोटे पैमाने पर संभव है, तो इसी प्रकार संपूर्ण सार्वभौमिक कार्य सर्वोच्च भगवान कृष्ण के नेतृत्व में चल रहे हैं- न कि वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं। कुछ भी स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकता है।
710203 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०३.१२ - गोरखपुर