HI/710215b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710215 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710215|HI/710215c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710215c}}
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710215 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710215|HI/710215c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710215c}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710215SB-GORAKHPUR_ND_02.mp3</mp3player>|"तो तुम इस मन्त्र का उच्चारण और पुष्पांजलि अर्पण कर सकते हो। और हम एक साथ पुष्प अर्पण करेंगे। वस्तुतः, यह अर्चना है..., वह मेरा कर्त्तव्य है। लेकिन सगोष्ठी। इसके बाद मुझे अपने आध्यात्मिक परिवार के साथ पूजा अर्पण करनी होगी, सगोष्ठी। इसको कहते हैं सगोष्ठी।  ठीक जैसे व्यासदेव कहते हैं, धीमहि। वे वंदन अर्पण कर रहे हैं सगोष्ठी, अपने सभी अनुयायियों और शिष्यों के साथ। यही विधि है।" |Vanisource:710215 - Lecture 1 Festival SB 06.03.24, Appearance Day, Bhaktisiddhanta Sarasvati - Gorakhpur|Appearance Day, Bhaktisiddhanta Sarasvati -  - गोरखपुर}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710215SB-GORAKHPUR_ND_02.mp3</mp3player>|"तुम इस मन्त्र का उच्चारण और पुष्पांजलि अर्पण कर सकते हो। और हम एक साथ पुष्प अर्पण करेंगे। वस्तुतः, यह अर्चना है..., वह मेरा कर्त्तव्य है। लेकिन सगोष्ठी। इसके बाद मुझे अपने आध्यात्मिक परिवार के साथ पूजा अर्पण करनी होगी, सगोष्ठी। इसको कहते हैं सगोष्ठी।  ठीक जैसे व्यासदेव कहते हैं, धीमहि। वे वंदन अर्पण कर रहे हैं सगोष्ठी, अपने सभी अनुयायियों और शिष्यों के साथ। यही विधि है।" |Vanisource:710215 - Lecture 1 Festival SB 06.03.24, Appearance Day, Bhaktisiddhanta Sarasvati - Gorakhpur|Appearance Day, Bhaktisiddhanta Sarasvati -  - गोरखपुर}}

Latest revision as of 15:05, 7 April 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तुम इस मन्त्र का उच्चारण और पुष्पांजलि अर्पण कर सकते हो। और हम एक साथ पुष्प अर्पण करेंगे। वस्तुतः, यह अर्चना है..., वह मेरा कर्त्तव्य है। लेकिन सगोष्ठी। इसके बाद मुझे अपने आध्यात्मिक परिवार के साथ पूजा अर्पण करनी होगी, सगोष्ठी। इसको कहते हैं सगोष्ठी। ठीक जैसे व्यासदेव कहते हैं, धीमहि। वे वंदन अर्पण कर रहे हैं सगोष्ठी, अपने सभी अनुयायियों और शिष्यों के साथ। यही विधि है।"
Appearance Day, Bhaktisiddhanta Sarasvati - - गोरखपुर