HI/710407b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710407LE-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"जो कोई भी लोगों का ध्यान कृष्ण से दूर मोड़ने का प्रयास कर रहा है,वह आधुनिक तथाकथित दार्शनिकों और शिक्षाविदों या धर्मवादियों का व्यवसाय है। वे भगवद-गीता को जीवन भर पढ़ना जारी रखेंगे परंतु भिन्न प्रकार से व्याख्या करेंगे ताकि लोग कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण न करें। यह उनका व्यवसाय है। ऐसे व्यक्तियों को दुष्कृतिना कहा जाता है। वे स्वयं भी कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तथा वे दूसरों को गुमराह कर रहे हैं कि वे स्वयं को कृष्ण के समक्ष समर्पण न करें। यह उनका व्यवसाय है। ऐसे व्यक्ति दुष्कृतिना हैं, बदमाश हैं, दुष्ट हैं, मूढ़ हैं, जो दूसरे तरीकों से लोगों को भटका रहे हैं।"|Vanisource:710407 - Lecture Pandal - Bombay|710407 - प्रवचन पंडाल - बॉम्बे}}
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Latest revision as of 15:18, 10 May 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जो कोई भी लोगों का ध्यान कृष्ण से दूर मोड़ने का प्रयास कर रहा है, वह आधुनिक तथाकथित दार्शनिकों और शिक्षाविदों या धर्मवादियों का व्यवसाय है। वे भगवद-गीता को जीवन भर पढ़ना जारी रखेंगे परंतु भिन्न प्रकार से व्याख्या करेंगे ताकि लोग कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण न करें। यह उनका व्यवसाय है। ऐसे व्यक्तियों को दुष्कृतिना कहा जाता है। वे स्वयं भी कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तथा वे दूसरों को गुमराह कर रहे हैं कि वे स्वयं को कृष्ण के समक्ष समर्पण न करें। यह उनका व्यवसाय है। ऐसे व्यक्ति दुष्कृतिना हैं, बदमाश हैं, दुष्ट हैं, मूढ़ हैं, जो दूसरे तरीकों से लोगों को भटका रहे हैं।"
710407 - प्रवचन पंडाल - बॉम्बे