HI/710409 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710408 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710408|HI/710410 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710410}}
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710408 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710408|HI/710410 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710410}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710409SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"वह जो हमेशा कृष्ण को भीतर और बाहर चौबीस घंटे देखेगा। और कुछ नहीं; वह और कुछ नहीं देखेगा। अन्य लोग, वे बस कहेंगे," भगवान कहां है? भगवान मर चुका है। क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं? "ऐसे व्यक्ति कभी भी यह नहीं समझ पाएंगे कि भगवान क्या है, क्योंकि वे भगवान को चुनौती देकर देखना चाहते हैं। यह संभव नहीं है। भगवान चुनौती से दिखाई नहीं देते; केवल प्रेम और समर्पण से। तब भगवान को देखा जा सकता है।"|Vanisource:710409 - Lecture SB 01.08.18-19 - Bombay|७१०४०९ - प्रवचन श्री.भा. ०१.०८.१८-१९ - बॉम्बे}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710409SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"वह जो हमेशा कृष्ण को भीतर और बाहर चौबीस घंटे देखेगा। और कुछ नहीं; वह और कुछ नहीं देखेगा। अन्य लोग, वे बस कहेंगे, "भगवान कहां है? भगवान मर चुका है। क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं?" ऐसे व्यक्ति कभी भी यह नहीं समझ पाएंगे कि भगवान क्या है, क्योंकि वे भगवान को चुनौती देकर देखना चाहते हैं। यह संभव नहीं है। भगवान चुनौती से दिखाई नहीं देते; केवल प्रेम और समर्पण से। तब भगवान को देखा जा सकता है।"|Vanisource:710409 - Lecture SB 01.08.18-19 - Bombay|७१०४०९ - प्रवचन श्री.भा. ०१.०८.१८-१९ - बॉम्बे}}

Latest revision as of 15:59, 12 May 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वह जो हमेशा कृष्ण को भीतर और बाहर चौबीस घंटे देखेगा। और कुछ नहीं; वह और कुछ नहीं देखेगा। अन्य लोग, वे बस कहेंगे, "भगवान कहां है? भगवान मर चुका है। क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं?" ऐसे व्यक्ति कभी भी यह नहीं समझ पाएंगे कि भगवान क्या है, क्योंकि वे भगवान को चुनौती देकर देखना चाहते हैं। यह संभव नहीं है। भगवान चुनौती से दिखाई नहीं देते; केवल प्रेम और समर्पण से। तब भगवान को देखा जा सकता है।"
७१०४०९ - प्रवचन श्री.भा. ०१.०८.१८-१९ - बॉम्बे