HI/710701 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७१ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next)) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710701R2-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"कोई भी जो विशेष रूप से प्रभु की सेवा के प्रति विशुद्ध समर्पण के कारण, परम ईश्वर, देवत्व का व्यक्तित्व के सहाययुक्त है, वह भ्रम के दुरतिक्रम्य सागर पर काबू पा सकता है और प्रभु को भी समझ सकता है। लेकिन वे जो शरीर से जुड़े हैं जिसे अंत में कुत्ते और गीदड़ खा जाएंगे, नहीं कर | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710630 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710630|HI/710702 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710702}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710701R2-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"कोई भी जो विशेष रूप से प्रभु की सेवा के प्रति विशुद्ध समर्पण के कारण, परम ईश्वर, देवत्व का व्यक्तित्व के सहाययुक्त है, वह भ्रम के दुरतिक्रम्य सागर पर काबू पा सकता है और प्रभु को भी समझ सकता है। लेकिन वे जो शरीर से जुड़े हैं, जिसे अंत में कुत्ते और गीदड़ खा जाएंगे, नहीं कर सकते हैं।" |Vanisource:710701 - Conversation on SB 2.7.42 - Los Angeles|710701 - श्री.भा. २.७.४२ पर प्रवचन - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 23:11, 24 July 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कोई भी जो विशेष रूप से प्रभु की सेवा के प्रति विशुद्ध समर्पण के कारण, परम ईश्वर, देवत्व का व्यक्तित्व के सहाययुक्त है, वह भ्रम के दुरतिक्रम्य सागर पर काबू पा सकता है और प्रभु को भी समझ सकता है। लेकिन वे जो शरीर से जुड़े हैं, जिसे अंत में कुत्ते और गीदड़ खा जाएंगे, नहीं कर सकते हैं।" |
710701 - श्री.भा. २.७.४२ पर प्रवचन - लॉस एंजेलेस |