HI/721026 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 23:22, 31 August 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप बस अपनी आंखों से कृष्ण को देखते हैं, तो आपकी आंखें शुद्ध और भक्ति विलोचन हो जाएंगी। क्योंकि आप स्पर्श कर रहे हैं... जैसे अगर आप खुद को हमेशा आग के संपर्क में रखते हैं, तो आप गर्म हो जाते हैं। गर्म, गर्म, अधिक गर्म। यदि आप एक लोहे की छड़ को आग में डालते हैं, यह गर्म, गर्म, अधिक गर्म हो जाता है, और आखिर में, यह लाल गर्म हो जाता है। जब यह लाल गर्म होता है, तो यह आग है, यह अब लोहे की छड़ी नहीं है। आप उस लाल गर्म लोहे को कहीं भी छुएं, यह जला देगा। इसी तरह, यदि आप हमेशा कृष्ण के संपर्क में रहते हैं, तो आप कृष्ण..., कृष्णईज़ेड हो जाते हैं, और आप कृष्ण क्या हैं उसकी सराहना कर सकते हैं।"
721026 - प्रवचन भक्तिरसामृतसिन्धु - वृंदावन