HI/730912c बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - लंडन]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - लंडन]]
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/730912b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|730912b|HI/730913 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|730913}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730912IV-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"हम यह भी मानते हैं, कि दुनिया का एक आदि है, और एक अंत है। कुछ भी भौतिक। ठीक उसी तरह जैसे की मेरे शरीर, आपके शरीर, इसका माता-पिता से आदि है, और इसका अंत हो जायेगा। इसलिए कुछ भी भौतिक, उसका आदि और अंत होता है। लेकिन शरीर के अंदर, जो आत्मा है, उस आत्मा का न तो कोई आदि है, और न अंत।"|Vanisource:730912 - Interview - London|730912 - भेंटवार्ता - लंडन}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730912IV-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"हम यह भी मानते हैं, कि दुनिया का एक आदि है, और एक अंत है। कुछ भी भौतिक। ठीक उसी तरह जैसे की मेरे शरीर, आपके शरीर, इसका माता-पिता से आदि है, और इसका अंत हो जायेगा। इसलिए कुछ भी भौतिक, उसका आदि और अंत होता है। लेकिन शरीर के अंदर, जो आत्मा है, उस आत्मा का न तो कोई आदि है, और न अंत।"|Vanisource:730912 - Interview - London|730912 - भेंटवार्ता - लंडन}}

Latest revision as of 06:35, 21 January 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम यह भी मानते हैं, कि दुनिया का एक आदि है, और एक अंत है। कुछ भी भौतिक। ठीक उसी तरह जैसे की मेरे शरीर, आपके शरीर, इसका माता-पिता से आदि है, और इसका अंत हो जायेगा। इसलिए कुछ भी भौतिक, उसका आदि और अंत होता है। लेकिन शरीर के अंदर, जो आत्मा है, उस आत्मा का न तो कोई आदि है, और न अंत।"
730912 - भेंटवार्ता - लंडन