HI/740608 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद पेरिस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:35, 28 December 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"चैतन्य महाप्रभु की कृपा से, आप इस कृष्ण भावनामृत दर्शन को समझने का प्रयास कर रहे हैं, और कोई कठिनाई नहीं है। भगवद्गीता में सब कुछ उपस्थित है। आप बस समझने का प्रयास करें, और अपने जीवन को सफल बनाएं। यह ही हमारा अनुरोध है। दुष्ट, मूढ़, नराधम, मायावादी-ज्ञानी मत बनें। इस शिक्षा का कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि इसमें वास्तविक ज्ञान, कुछ भी नहीं है। वास्तविक ज्ञान भगवान को समझना है। पूरी दुनिया में कोई शिक्षा नहीं है, कोई विश्वविद्यालय नहीं है, इसलिए वे केवल चरित्रहीन व्यक्तियों की उत्पत्ति कर रहे हैं। तो मेरा एकमात्र अनुरोध यह है कि ऐसे न बनें। आप केवल यहाँ राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं। राधा-कृष्णा-प्रणय-विकृतिर (चै.च. आदि १.५)। बस कृष्ण को समझने का प्रयास करें और फिर आपका जीवन सफल हो जाएगा।” |
740608 - प्रवचन आगमन पर - पेरिस |