HI/751013 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डरबन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७५]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७५]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - डरबन]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - डरबन]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/751013BG-DURBAN_ND_01.mp3</mp3player>|"कमजोर ताकतवर के लिए भोजन है। यह प्रकृति का नियम है, कि एक जीव दुसरे जीव के लिए भोजन है। इसलिए जब कोई जीव किसी अन्य जीव को खाता है, तो यह अप्राकृतिक नहीं है। यह प्रकृति का नियम है। लेकिन जब आप जीव के मानव रूप पर आते हैं, आपको अपने विभेदन का उपयोग करना चाहिए। जैसे एक जीव दूसरे जीव के लिए भोजन है, इसका मतलब यह नहीं है... कभी-कभी निम्न वर्ग के जानवरों में माता-पिता संतान को खाते हैं, लेकिन मानव समाज के इतिहास में यह कभी वर्णन में नहीं आया है कि माता-पिता संतान को खा रहे हैं। लेकिन वर्तमान काल ऐसा आया है की माँ संतान का हत्या कर रही है। यह आ चुका है। यह कलयुग के कारण है।"|Vanisource:751013 - Lecture BG 13.01-3 - Durban|751013 - प्रवचन श्री.भा १३.१-३ - डरबन}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/751011 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डरबन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|751011|HI/751014 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद जोहानसबर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|751014}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/751013BG-DURBAN_ND_01.mp3</mp3player>|"निर्बल सुबल के लिए भोजन है। यह प्रकृति का नियम है, कि एक जीव दुसरे जीव के लिए भोजन है। इसलिए जब कोई जीव किसी अन्य जीव को खाता है, तो यह अप्राकृतिक नहीं है। यह प्रकृति का नियम है। परंतु जब आप जीवन के मानव रूप में आते हैं, आपको अपने विभेदन का उपयोग करना चाहिए। जैसे एक जीव दूसरे जीव के लिए भोजन है, इसका अर्थ यह नहीं है की कभी-कभी जैसे निम्न वर्ग के जानवरों में माता-पिता संतान को खाते हैं, परंतु मानव समाज के इतिहास में यह कभी वर्णन में नहीं आया है कि माता-पिता संतान को खा रहे हैं। परंतु वर्तमान काल ऐसा आया है की माँ संतान की हत्या कर रही है। यह समय आ चुका है। यह कलयुग के कारण हो रहा है।"|Vanisource:751013 - Lecture BG 13.01-3 - Durban|751013 - प्रवचन श्री.भा १३.१-३ - डरबन}}

Latest revision as of 05:12, 22 January 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"निर्बल सुबल के लिए भोजन है। यह प्रकृति का नियम है, कि एक जीव दुसरे जीव के लिए भोजन है। इसलिए जब कोई जीव किसी अन्य जीव को खाता है, तो यह अप्राकृतिक नहीं है। यह प्रकृति का नियम है। परंतु जब आप जीवन के मानव रूप में आते हैं, आपको अपने विभेदन का उपयोग करना चाहिए। जैसे एक जीव दूसरे जीव के लिए भोजन है, इसका अर्थ यह नहीं है की कभी-कभी जैसे निम्न वर्ग के जानवरों में माता-पिता संतान को खाते हैं, परंतु मानव समाज के इतिहास में यह कभी वर्णन में नहीं आया है कि माता-पिता संतान को खा रहे हैं। परंतु वर्तमान काल ऐसा आया है की माँ संतान की हत्या कर रही है। यह समय आ चुका है। यह कलयुग के कारण हो रहा है।"
751013 - प्रवचन श्री.भा १३.१-३ - डरबन