HI/751013 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डरबन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 05:12, 22 January 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"निर्बल सुबल के लिए भोजन है। यह प्रकृति का नियम है, कि एक जीव दुसरे जीव के लिए भोजन है। इसलिए जब कोई जीव किसी अन्य जीव को खाता है, तो यह अप्राकृतिक नहीं है। यह प्रकृति का नियम है। परंतु जब आप जीवन के मानव रूप में आते हैं, आपको अपने विभेदन का उपयोग करना चाहिए। जैसे एक जीव दूसरे जीव के लिए भोजन है, इसका अर्थ यह नहीं है की कभी-कभी जैसे निम्न वर्ग के जानवरों में माता-पिता संतान को खाते हैं, परंतु मानव समाज के इतिहास में यह कभी वर्णन में नहीं आया है कि माता-पिता संतान को खा रहे हैं। परंतु वर्तमान काल ऐसा आया है की माँ संतान की हत्या कर रही है। यह समय आ चुका है। यह कलयुग के कारण हो रहा है।"
751013 - प्रवचन श्री.भा १३.१-३ - डरबन