HI/760414 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 00:11, 13 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"उनको दण्डित किया जा रहा है, लेकिन वे इतने मूर्ख हैं, वे समझ नहीं सकते कि उनको दण्डित किया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे किसी कुत्ते को दण्डित किया जा रहा हो। वह पूरे दिन-रात खाने, खाद्य-पदार्थ, मल नहीं खा सकता है। कोई पत्थर फ़ेंक रहा है, कोई छड़ी से मार रहा है, और फिर भी, वह उल्लसित है: 'गौ, गौ, गौ, गौ, मैं बहुत खुश हूं'। यह चल रहा है। (हँसी) (हंसते हुए) तो यह कुत्ते का संघ, कुत्ते का समाज, वे हर कदम पर पीड़ित हैं; फिर भी; वे सोच रहे हैं, 'हम प्रगति कर रहे हैं'। यह सबकुछ है। कुत्ते की सभ्यता। सूअर की सभ्यता, कुत्ते की सभ्यता। यह सभ्यता नहीं है। नायं देहो देह-भाजाम नृलोके कष्टान कामान अर्हते विद-भुजाम ये (श्री.भा. ०५.०५.०१)"। |
760414 - सुबह की सैर - बॉम्बे |