HI/760924 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यशोदामाई ईश्वरत्व का सर्वोच्च व्यक्तित्व को अपने बेटे के रूप में स्वीकारना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने सैकड़ों साल तपस्या की...। और जब ईश्वरत्व का सर्वोच्च व्यक्तित्व पति-पत्नी के सामने अवतरित हुए तो उन्होंने पुछा: 'आप क्या चाहते हैं?' 'अब हमें आप जैसा पुत्र चाहिए।' तो कृष्ण ने कहा, 'मेरे अलावा कोई दूसरा नहीं है, इसलिए मैं आपके बेटे के रूप में प्रकट हूँगा', इसलिए वे बेटे के रूप में अवतरित हुए। इसलिए उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए ताकि यशोदामाई ये न समझ ले की वे स्वयं सर्वोच्च ईश्वर हैं'। फिर मां और बेटे के बीच के भावनाओं का सम्बन्ध नहीं रहेगा। वैसे भी, कृष्ण बिल्कुल छोटे बच्चे के रूप में दर्शा रहे हैं। तो यह कृष्ण की दया है।"
760924 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०७.२७ - वृंदावन