HI/Prabhupada 0091 -आप यहाँ नग्न खड़े हो जाओ

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Morning Walk -- July 16, 1975, San Francisco

धर्माध्यक्ष: आजकल वह अपनी गलती को समझकर, मृत्यु के बारे मे और ज़्यादा जाँच कर रहे हैं, लोगों को मृत्यु के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन वह लोगों को एक ही चीज़ बतला सकते हैं, "स्वीकार करो ।" वह एक ही चीज़ लोगों को बतला सकते हैं, "तुम मरने वाले हो ।" तो इस बात को खुशी से स्वीकार कर लो ।"

प्रभुपाद: परन्तु मैं मरना नहीं चाहता हूँ । मैं खुश कैसे रहूँ ? तुम धूर्त, तुम कहते हो, "खुश रहो ।" (हँसी) खुशी से, तुम मरो ।" (हँसी) वकील कहेगा, "कोई बात नहीं । तुम केस हार गए । अब तुम खुशी से मरो ।" (हँसी)

धर्माध्यक्ष: यही वास्तव में, पूरे आधुनिक मनोविज्ञान का लक्ष्य है, कि लोगों को इस तथ्य के अनुकूल बनाना कि उन्हें इस भौतिक संसार में रहना पडे़गा, और अगर आपको इस भौतिक संसार को छोड़ने की इच्छा है, तब वह आपको बताएँगे कि आप पागल हैं । नहीं, नहीं । अब आपको इस भौतिक परिस्थिति में और अधिक व्यवस्थित होना होगा ।"

बहुलाष्व: वह आपको जीवन की कुंठाओं को स्वीकार करना सिखाते हैं । वे सिखाते हैं कि आपको जीवन की सभी कुंठाओं को स्वीकार करना होगा ।

प्रभुपाद: कुंठाएँ क्यों हैं ? आप बडे़ वैज्ञानिक हैं । आप समाधान नहीं कर सकते ? धर्माध्यक्ष: वे समाधान नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास भी यही समस्याएँ हैं । प्रभुपाद : वही तर्क, "तुम खुशी से मरो ।" बस । जैसे ही कोई कठिन विषय अाता है, वे छोड़ देते हैं । और वे किसी बेकार वस्तु पर कल्पना करते हैं । बस । यही उनकी शिक्षा है । शिक्षा का अर्थ है अत्यंतिक-दुःख-निवृत्ति, सभी दुःखों का अंतिम उपाय । यह शिक्षा है, यह नहीं कि कुछ दूर अाकर, "अब तुम खुशी से मर सकते हो ।" और दुःख, अप्रसन्नता क्या है ? यह कृष्ण द्वारा बताया गया है- जन्म-मृत्यु-ज़रा-व्याधि दुक्ख दोषानु... (भ गी १३.९) । यह आपके दुःख हैं । इसे सुलझाने की कोशिश करो । और इसे वे सावधानीपूर्वक अनदेखा कर रहे हैं । वे मृत्यु, जन्म, बुढ़ापा और रोग को नहीं रोक सकते हैं । और जीवन की इस छोटी अवधि में, जन्म और मृत्यु, वे बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें बना रहे हैं, और अगले जन्म में वह उन इमारतों के अंदर एक चूहा बन जाता है। (हँसी) प्रकृति ।आप प्रकृति के नियमों से नहीं भाग सकते हैं । जैसे आप मृत्यु से नहीं भाग सकते, वैसे ही, प्रकृति आपको एक दूसरा शरीर देगी । इस विश्वविद्यालय में एक पेड़ बन जाओ । पाँच हज़ार सालों के लिए खड़े रहो । आप नग्न अवस्था में रहना चाहते थे । अब कोई कुछ नहीं कहेगा । तुम यहाँ नग्न अवस्था में खड़े रहो ।